Monday, December 31, 2012

इस रात का कोई सवेरा नहीं


ये जो घना अँधेरा है
वो ढलता क्यों नहीं
जिसको ज़्यादा चाहो
वो ही मिलता क्यों नहीं

ज़िन्दगी तेज़ रफ़्तार से चल कर
फिर आज राहें हैं थमी
मुस्कुराहटो के समंदर भर कर
लो आ गयी आँख में फिर वो नमी

वही मौसम, वो लम्हा है
क्या तेरी कमी तो नही
नहीं- नहीं अब हमें
तेरी जुस्तजू भी नही

बस अब बहुत हुआ
इस मर्ज़ का कोई इलाज ही नहीं
सपनो भरी ज़िन्दगी जी कर
आज, एक बार फिर, मैं वहीँ की वहीँ

मनु

No comments: