Monday, February 20, 2012

All love stories have happy endings but mine...


न आँख में नींद, न मन में चैन
हर रात बस करवट बदलती है,
सुबह उठने की चाह कहाँ
अब मन्नतें रात ही भरती है|

माना झूठ में जीना है फ़िज़ूल
और वो तो खुद को कहा हुआ झूठ है,
पर उस झूठ से कहाँ तक बचना
जिसका ज़िक्र हर साँस करती है|

कल गया, आज आया, कल फिर कल जायेगा
कतरा-कतरा हर पल को जल्दी है,
और ऐसे ही धीरे- धीरे बर्फ, मेरी तरह
अपने ही पानी में खुद ही पिघलती है|

अब न कोई चाह, न मंजिल, न हमसफ़र की तलाश
न ही कोई खुदगर्जी है,
शायद अब मैंने ये बची-खुची ज़िन्दगी भी
उसी के नाम कर दी है!

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